SANTA DIARY LIKH RHA THA
AAJ MERI BAHAN KO BACHHA HONE WALA HAI
PTA NAI KE LADKA HOGA YA LADKI
ISLIYE MUZE PTA NAI KE MAI MAMA BANUNGA YA MAMI
भानजा- मामा, मुझे 200 रुपए दे दो।
मामा- अरे!
तुझे रुपए की नहीं, अक्ल की जरूरत है।
भानजा- मगर मैं आपसे वही चीज तो माँगूँगा, जो आपके पास है।
AAJ MERI BAHAN KO BACHHA HONE WALA HAI
PTA NAI KE LADKA HOGA YA LADKI
ISLIYE MUZE PTA NAI KE MAI MAMA BANUNGA YA MAMI
Mama So Broke: Her Front & Back Door On The Same Hinge
Mama So Bald: i Can See What She Thinkin
Mama So Fat: That When She Get On The Scales It Says 1 At A Time
बंता डायरी लिख रहा था। उसने लिखा, आज मेरी बहन की डिलिवरी होने वाली है। पता नहीं लड़का होगा या लड़की? इसलिए मुझे यह भी पता नहीं कि मैं मामा बनूंगा या मामी?'
भानजा- मामा, मुझे 200 रुपए दे दो।
मामा- अरे!
तुझे रुपए की नहीं, अक्ल की जरूरत है।
भानजा- मगर मैं आपसे वही चीज तो माँगूँगा, जो आपके पास है।
एक सज्जन वाराणसी पहुँचे | स्टेशन पर उतरे ही थे कि एक लड़का दौड़ता हुआ आया |
“मामा जी! मामा जी!”—लड़के ने लपक कर पैर छूए |
वे पहचाने नहीं , बोले –‘तुम कौन?’
‘मैं मुन्ना | आप पहचाने नहीं मुझे ?’
‘मुन्ना?’ वे सोचने लगे |
’हाँ, मुन्ना | भूल गए आप मामा जी | खैर कोई बात नहीं इतने साल भी तो हो गए |’
‘तुम यहाँ कैसे ?’ ‘मैं आजकल यही हूँ |’
‘अच्छा!’ ‘हाँ’
मामा जी अपने भांजे के साथ वाराणसी घूमने लगे | चलो कोई तो साथ मिला | कभी इस मन्दिर , कभी उस मन्दिर , फिर पहुँचे गंगा घाट | सोचा नहा लें |
‘मुन्ना नहा लें ?’
‘जरुर नहाइये मामा जी | वाराणसी आये हैं और नहायें नहीं, यह कैसे हो सकता है |’
मामा जी ने गंगा में डुबकी लगायी | हर-हर गंगे | बाहर निकले तो सामान गायब , कपड़े गायब , लड़का भी गायब |
‘मुन्ना .......ए मुन्ना |’
मगर मुन्ना वहाँ हो तो मिले | तौलिया लपेट कर खड़ें हैं |
‘क्यों भाई, आपने साहब मुन्ना को देखा है?’
‘कौन मुन्ना ?’
‘वही जिसके हम मामा हैं |’
‘मै समझा नहीं |’
‘अरे जिसके हम मामा हैं वो मुन्ना |’
वे तौलिया पेटे यहाँ से वहाँ दौड़ते रहे | मुन्ना नहीं मिला |
“मामा जी! मामा जी!”—लड़के ने लपक कर पैर छूए |
वे पहचाने नहीं , बोले –‘तुम कौन?’
‘मैं मुन्ना | आप पहचाने नहीं मुझे ?’
‘मुन्ना?’ वे सोचने लगे |
’हाँ, मुन्ना | भूल गए आप मामा जी | खैर कोई बात नहीं इतने साल भी तो हो गए |’
‘तुम यहाँ कैसे ?’ ‘मैं आजकल यही हूँ |’
‘अच्छा!’ ‘हाँ’
मामा जी अपने भांजे के साथ वाराणसी घूमने लगे | चलो कोई तो साथ मिला | कभी इस मन्दिर , कभी उस मन्दिर , फिर पहुँचे गंगा घाट | सोचा नहा लें |
‘मुन्ना नहा लें ?’
‘जरुर नहाइये मामा जी | वाराणसी आये हैं और नहायें नहीं, यह कैसे हो सकता है |’
मामा जी ने गंगा में डुबकी लगायी | हर-हर गंगे | बाहर निकले तो सामान गायब , कपड़े गायब , लड़का भी गायब |
‘मुन्ना .......ए मुन्ना |’
मगर मुन्ना वहाँ हो तो मिले | तौलिया लपेट कर खड़ें हैं |
‘क्यों भाई, आपने साहब मुन्ना को देखा है?’
‘कौन मुन्ना ?’
‘वही जिसके हम मामा हैं |’
‘मै समझा नहीं |’
‘अरे जिसके हम मामा हैं वो मुन्ना |’
वे तौलिया पेटे यहाँ से वहाँ दौड़ते रहे | मुन्ना नहीं मिला |
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